भारत सरकार ने बिजली वितरण प्रणाली में सुधार और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से ‘स्मार्ट मीटर योजना’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत देशभर में पारंपरिक बिजली मीटरों को स्मार्ट मीटरों से बदलने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे बिजली उपभोक्ताओं और वितरण कंपनियों दोनों को लाभ होगा।
स्मार्ट मीटर क्या है?
स्मार्ट मीटर एक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो बिजली की खपत को रियल-टाइम में मापता है और इस जानकारी को स्वचालित रूप से बिजली वितरण कंपनी को भेजता है। यह उपभोक्ताओं को अपनी बिजली खपत की निगरानी करने और ऊर्जा बचत के उपाय अपनाने में सहायता करता है।
योजना का उद्देश्य और कार्यान्वयन
स्मार्ट मीटर योजना का मुख्य उद्देश्य बिजली वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाना, बिलिंग में त्रुटियों को कम करना और ऊर्जा दक्षता में सुधार करना है। सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देशभर में 20 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हालांकि, अब तक केवल 99 लाख स्मार्ट मीटर ही लगाए जा सके हैं, जो कुल लक्ष्य का एक छोटा हिस्सा है।
हरियाणा में स्मार्ट मीटर योजना
हरियाणा सरकार ने राज्य के सभी घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का निर्णय लिया है। इस योजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में सरकारी दफ्तरों, इमारतों और कर्मचारियों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में आम जनता के घरों में स्मार्ट मीटर स्थापित किए जाएंगे। इन मीटरों के प्रीपेड होने के कारण उपभोक्ताओं को अपनी आवश्यकता के अनुसार मीटर को रिचार्ज करना होगा, जिससे बिजली विभाग को रीडिंग लेने के लिए घर-घर नहीं जाना पड़ेगा।
उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर की पहल
उत्तराखंड में भी स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऊर्जा निगम ने कुमाऊं मंडल में 6.55 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें से नैनीताल जिले में 1.82 लाख मीटर लगाए जाने हैं। पहले चरण में उपकेंद्रों, कार्यालयों, अधिकारियों और कर्मचारियों के आवासों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
स्मार्ट मीटर के लाभ
- उपभोक्ताओं के लिए: स्मार्ट मीटर से बिजली खपत की सटीक जानकारी मिलती है, जिससे उपभोक्ता अपनी ऊर्जा खपत को नियंत्रित कर सकते हैं। प्रीपेड सुविधा के माध्यम से वे अपनी आवश्यकता के अनुसार रिचार्ज कर सकते हैं, जिससे बिलिंग में पारदर्शिता बढ़ती है।
- वितरण कंपनियों के लिए: स्मार्ट मीटर से बिलिंग में त्रुटियां कम होती हैं, रीडिंग लेने की प्रक्रिया स्वचालित होती है, जिससे मानव संसाधन की आवश्यकता कम होती है। इसके अलावा, बिजली चोरी और तकनीकी नुकसान को कम करने में भी सहायता मिलती है।
आम जनता पर प्रभाव
- बिलिंग में पारदर्शिता: स्मार्ट मीटर से सटीक बिलिंग सुनिश्चित होगी, जिससे उपभोक्ताओं को अनावश्यक विवादों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- ऊर्जा खपत पर नियंत्रण: उपभोक्ता अपनी बिजली खपत की रियल-टाइम जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिससे वे ऊर्जा बचत के उपाय अपना सकेंगे।
- प्रीपेड सुविधा: प्रीपेड मीटर से उपभोक्ता अपनी सुविधा के अनुसार रिचार्ज कर सकेंगे, जिससे बजट प्रबंधन में सहायता मिलेगी।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य 31 मार्च 2026 तक पूरा किया जाएगा। कुछ राज्यों में इस प्रक्रिया में देरी हो रही है, लेकिन सरकार ने इन राज्यों में योजना को गति देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, टोटेक्स (TOTEX) मॉडल के तहत स्मार्ट मीटरिंग को लागू किया जा रहा है, जिससे वितरण कंपनियों को अग्रिम पूंजी खर्च नहीं करना पड़ेगा और यह योजना स्व-वित्तपोषित होगी, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।