Budget Updates 2025: सीनियर सिटीजन को मिला तोहफा, अब ₹1 लाख तक TDS फ्री का ऐलान

Budget Updates 2025 : इस बार के बजट पेश में फाइनेंशियल मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के द्वारा सीनियर सिटीजन को दिया गया बड़ी तोहफा, अब उन्हें टैक्स में छूट मिलने वाला है।

पहले जहां 50,000 रुपये से अधिक की ब्याज आय पर 10% टैक्स काटा जाता था, इसे बढ़ाकर फाइनेंस मिनिस्टर के द्वारा आज ही यानी 1 फरवरी से 1 लाख तक TDS फ्री का ऐलान कर दिया गया है। वहीं अब सीनियर सिटीजन को इस राहत से काफी लाभ मिलेगा। यदि उन्हें अपने बैंक या पोस्ट ऑफिस के डिपॉजिट पर एक वित्तीय वर्ष में एक लाख रुपये तक का ब्याज मिलता है, तो इनकम टैक्स विभाग को कोई टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) नहीं देना होगा। चलिए और भी डिटेल से इस चीज को जानने का प्रयास करते हैं।

Budget Updates 2025: सीनियर सिटीजन्स के लिए बड़ी राहत

हमारी फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण के द्वारा 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए सीनियर सिटीजन्स को बड़ी राहत दी है। अब बैंक डिपॉजिट या पोस्ट ऑफिस स्कीम्स से सालाना 1 लाख रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम पर कोई TDS (Tax Deducted at Source) नहीं काटा जाएगा। इससे पहले यह सीमा सिर्फ 50,000 रुपये थी। 

नया क्या बदला हुआ

अभी तक इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के तहत सीनियर सिटीजन्स को 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम पर TDS से छूट मिलती थी। इस लिमिट को अब दोगुना करते हुए 1 लाख रुपये कर दिया गया है। यानी अब बैंक या पोस्ट ऑफिस से मिलने वाली 1 लाख रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम टैक्स डिडक्शन के दायरे में नहीं आएगी। 

पहले क्या था?

– पुरानी व्यवस्था: 50,000 रुपये से अधिक इंटरेस्ट इनकम पर 10% TDS काटा जाता था। 

– PAN न होने पर: जिन सीनियर सिटीजन्स के पास PAN नहीं होता, उनसे 20% TDS वसूला जाता था। 

अब सीनियर सिटीजन्स को कैसे होगा फायदा?

रिटायर्ड लोग अक्सर अपने खर्च के लिए बैंक या पोस्ट ऑफिस की ब्याज आय पर निर्भर रहते हैं। पहले हर साल 50,000 रुपये से ज्यादा ब्याज पर TDS कटने से उनकी इनकम में कटौती होती थी। अब इस लिमिट के बढ़ने से उनकी जेब में ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे रोजमर्रा के खर्चों को संभालना आसान होगा। 

उदाहरण के लिए, अब सीनियर सिटीजन्स को हर महीने लगभग 8,300 रुपये तक की ब्याज आय पर कोई TDS नहीं देना पड़ेगा, जबकि पहले यह सीमा 4,100 रुपये महीने के आसपास थी। 

इस फैसले से सीनियर सिटीजन्स को अपनी इनकम पर बेहतर नियंत्रण मिलेगा और उन्हें टैक्स रिटर्न भरने के झंझट से भी काफी हद तक राहत मिलेगी। यह कदम न केवल उनकी वित्तीय स्वतंत्रता को मजबूत करेगा, बल्कि उनकी आर्थिक सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।

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